संभवत: इसका एक कारण यह भी हो कि इंटरनेट की दुनिया में अभी सही मायने में समाजवाद नहीं आया है। बहरहाल, सोशल मीडिया और साहित्य दोनों को एक दूसरे से प्राणवायु मिल रही है, वहां इन दिनों खुशनुमा वातावरण है।
from Jansattaदुनिया मेरे आगे – Jansatta http://bit.ly/2WaPzit
from Jansattaदुनिया मेरे आगे – Jansatta http://bit.ly/2WaPzit
Comments
Post a Comment