अपराध में डूबे ऐसे मनचलों की यौवन-वितृष्णा ने स्त्रियों का हमेशा ही शोषण कर उनकी जुबान पर ताला जड़ने का काम किया है। देवालयों से लेकर वेश्यालय तक इनकी बेशर्मी और औरतों की चीखों के ऐतिहासिक गवाह रहे हैं।
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