देश के सिनेमा के परिदृश्य में रंगभेद पर सबसे पहले फिल्मकार अभिनेत्री नंदिता दास ने आवाज उठाई थी। उन्होंने बाकायदा एक अभियान ‘सांवला सलोना है’ (द डार्क इस ब्यूटीफुल) के माध्यम से त्वचा के आधार पर हो रहे भेदभाव के खिलाफ आरंभ किया था।
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