यह सच्चाई कड़वाहट से भरी हुई है, क्योंकि इसमें मानवीय मन-मस्तिष्क की उन तमाम संभावनाओं की अंतिम सीमा रेखा दिखाई देती है, जिससे हम रोबोट और कंप्यूटर की गिनती को शत प्रतिशत सही मानते हैं।
from Jansattaदुनिया मेरे आगे – Jansatta http://bit.ly/2VZvf4f
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