विश्व में करीब आठ सौ करोड़ आबादी में किसी भी दो व्यक्ति के चरित्र और गुणसूत्र आपस में नहीं मिलते। यही कारण है कि हर व्यक्ति अपने आप में उम्दा, असाधारण और अद्भुत है।
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