अगर योग शिक्षा को विद्यालयों में पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाया जाए तो भारत कुछ ही वर्षों में अत्यंत बुद्धिमान, विनम्र, स्वाभिमानी, सेवाभावी तथा राष्ट्रभक्ति के साथ विश्व गुरु बन जाएगा और किसी धर्म, जाति, भाषा, प्रांत, तथा धर्मनिरपेक्ष विचारधारा को कोई हानि भी नहीं है।
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