स्वाभाविक रूप से लगा कि बारिश के बाद तो यहां खेती का कोई काम नहीं। पानी ही नहीं, तो खेती कैसी। हमने साथ चल रहे एक स्थानीय आदिवासी युवक गोरख्या से पूछ लिया कि यहां सिंचाई से खेती तो नहीं होती होगी।
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