करीब बीस या पच्चीस वर्ष पहले एक प्रकाशक ने अपने प्रकाशन का नाम बदल दिया था। सत्र की शुरुआत में एक सहायक के साथ किताबों के बंडल लिए हर संस्था में घूमा करता था। ‘स्पेसिमेन’ किताबें बांटा करता था। उस वक्तटेक्स्ट-बुक का चलन था। टेक्स्ट-बुक के साथ वह ‘क्यूबी’ की एक प्रति भी भेंट करता जाता था।
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