आज के बच्चे भी प्रकृति से प्रेम न करके टीवी और मोबाइल की दुनिया को ही सच मान लेते हैं। उनसे अलग किसी दुनिया का उन्हें आभास ही नहीं। अक्सर सुनने को मिलता है कि शहर के बच्चे तारे को नहीं जान पाए।
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