जीवन कितनी आसानी से हमारे ही सामने लुटता जा रहा है और हम हैं कि खड़े-खड़े तमाशा देख रहे हैं। खुद में ही इतने उलझ कर रह गए हैं कि सामने वाले की पीड़ा हमें अब दिखाई नहीं देती।
from Jansattaदुनिया मेरे आगे – Jansatta https://ift.tt/2lVxODG
from Jansattaदुनिया मेरे आगे – Jansatta https://ift.tt/2lVxODG
Comments
Post a Comment