जब तक आप ‘सारयुक्त’ (दानासहित ) होते हैं, तब तक आपकी उपयोगिता बनी रहती है, आप शिरोधार्य बने रहते हैं। ‘सारविहीन’ (दानारहित) होने पर आप नकार दिए जाते हैं, घर-परिवार और समाज से मूंगफली के छिलके की तरह।
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