गिद्धों के साथ ही उल्लू, गुलाबी माथे वाली बत्तख और सारस भी अब बहुत कम दिखते हैं। मछलियों की प्रजातियां भी कम हो रही हैं। गिद्धों का कम हो जाना हजारों साल पुरानी परंपरा को बदल रहा है।
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