सवाल है कि आखिर राजू के दिमाग में इस तरह की चीजें कैसे घुस गर्इं। हो सकता है वह भी किसी बाबा की ‘दुकान’ में कभी गया हो और वहां उसे इस तरह की बातें समझाई गई हों और वह उससे प्रभावित हो गया है। दूसरी ओर ऐसे तमाम राजू होंगे जो बाकी दिनों की तरह शुक्रवार को भी मेहनत या काम करते होंगे और अपनी धार्मिक आस्था का निर्वाह भी करते होंगे।
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