आज गांधी की अहिंसा की बात सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए की जाती है। सब गांधी और उनके विचारों का प्रयोग अपनी छवि बनाने के लिए करते हैं। गांधी की प्रशंसा कर अपनी प्रशंसा बटोरते हैं। क्या अहिंसा और हथियार एक साथ चल सकते हैं। गांधी की भाषा बोलने में राजनीतिकों का कुछ नहीं जाता, लेकिन गांधी के रास्ते पर चलने के लिए सब कुछ त्यागना पड़ सकता है।
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