हरेकाला हजब्बा (Harekala Hajabba) के पास रहने के लिए ढंग का मकान तक नहीं है, बावजूद इसके उन्होंने अपनी सारी कमाई गांव के बच्चों की पढ़ाई में खर्च कर दी। अब उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया है।
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