आज का प्रेम दरअसल प्रेम नहीं, सिर्फ जिद का हिस्सा है। यहां कोई किसी को पसंद करता है तो उस पर अधिकार जताने लगता है। अधिकार काम नहीं करता तो मार देता है, जला देता है और वजह बताता है कि वह उससे प्यार करता था। मौजूदा समय का प्रेम इतना अमानवीय और भावशून्य हो गया है कि उसे प्रेम कहना भी अपने आप में प्रेम के भाव को दूषित करना है।
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