उस गांव के सेठ लोग कई सामाजिक कार्य करते थे। नगरपालिका की बड़ी-सी जमीन पर एक बालमंदिर उन्हीं के सहयोग से निर्मित हुआ था। उसमें अखाड़ा भी चलता था और खेलकूद की विभिन्न गतिविधियां भी। सीमेंट की बेंच पर शाम को बुजुर्ग आराम करते दिखते थे।
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