हम इंसान कुदरत का ही एक हिस्सा हैं। इसलिए उसके रंगों से भला हम कैसे जुदा रह सकते हैं। फिर जो रंग कुदरत ने हमें दिए हैं, उनमें तो हमें रंगना ही है, लेकिन हमें रिश्तों के रंगों का भी उतना ही खयाल रखना है।
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