पिछली सदी के सत्तर के दशक की बात है। एक सख्त मिजाज प्राचार्य मातहतों को आसानी से आकस्मिक अवकाश नहीं देते थे। एक तेज किस्म के प्राध्यापक ने इसका लाजवाब तोड़ निकाला। वे जैसे ही अवकाश का आवेदन लेकर उनके कक्ष में जाते तो सबसे पहले उनकी वेशभूषा, टाई और उसकी ‘नॉट’ की तारीफ करते। प्राचार्य खुश हो जाते और तब वे आवेदन देते और उनका आवेदन तत्काल स्वीकृत हो जाता।
from Jansattaदुनिया मेरे आगे – Jansatta https://ift.tt/2yj6mWa
from Jansattaदुनिया मेरे आगे – Jansatta https://ift.tt/2yj6mWa
Comments
Post a Comment