एक तरफ इक्कीसवीं शताब्दी का आधुनिक जीवन है, दूसरी ओर प्राचीन काल का सामंती भेदभाव वाला समाज भी मौजूद है। पिछले दिनों एक ऐसी ही घटना घटी, जिससे इस समाज का हिस्सा होने के नाते मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई।
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