किसी भी समाज के भीतर एक पारिवारिक व्यवस्था रहती है, जहां बातचीत का स्तर काफी शालीन रहता है। माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी जैसे संबधों से युक्त कुटुंब के बीच भाषा बिल्कुल निर्धारित होती है। प्रेमी-प्रेमिका के बीच भी आम जीवन में संवाद ऐसा नहीं होता, जैसी बातचीत फैशन में आए भोजपुरी गानों में सुनने को मिलती है। इसमें प्रेम कम कामुकता ज्यादा झलकती है।
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