वर्तमान युग में प्रेम भी जैसे डिजिटल बन गया है। अब मानवीय प्रेम संबंधों में गंभीरता नहीं रही। युवा वर्ग ‘बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड’ के पेंडुलम में झूलता नजर आता है। यह एक चलन बन गया है। प्रीत की पेंग में झूलने का शौक अब किसी को नहीं रहा, न ही विरह की वेदना में कुंदन बनने का कष्ट कोई उठाना चाहता है।
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