बंदी की स्थितियों में एक महत्त्वपूर्ण विषय पर सुकून मिला कि आपराधिक घटनाएं नहीं के बराबर हैं। इसका मतलब है कि आदमी घर से बाहर नहीं निकल रहा, तो अपराध भी नहीं करता। यानी रोज होने वाले अपराध, चाहे वे किसी भी प्रकृति के क्यों नहीं हों, उनमें बढ़ोतरी अहं के कारण होती है।
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