कवि-लेखक का क्या धर्म होता है, यह कोई महाप्राण निराला से सीख सकता है। बेहद विपन्न हालत में रहने वाले इस महान कवि से जब इलाहाबाद में एक असहाय वृद्धा ने मदद मांगी, तो उन्होंने उसे ‘राम की शक्ति पूजा’ नहीं सुनाई, बल्कि उसे सारी रकम दे दी, जो एक प्रकाशक ने उन्हें दी थी।
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