अब मनुष्य बाहर नहीं, तो जैसे पशु-पक्षियों की गतिविधियां भी थम गई हैं। भोजन के लाले पड़े हैं, सो अलग से। बताया जा रहा है कि सड़क पर घूमते कुत्ते, गाएं सब भूख से बेहाल हैं। मनुष्य की व्यवस्था तो सरकारें कर रही हैं, इनकी कौन करे! ये तो वोट भी नहीं दे सकते। वोट दे सकते तो क्या इतनी दुर्दशा झेलते!
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