यह वक्त गुजर जाएगा। यकीनन हम वापस अपनी-अपनी जिंदगी में लौट आएंगे। सब पहले जैसा हो जाएगा। लेकिन वह क्या हमें सब पहले जैसा ही चाहिए? क्या हमें पहले से बेहतर दुनिया नहीं चाहिए? मेरी एक दोस्त कहती है कि आपदा का यह समय बीत जाने के बाद अगर हम बचे रह जाएं और हम एक बदले हुए मनुष्य न हों तो मरना बेहतर है। सच ही तो कहती है वह।
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