दूसरों को देख कर ईर्ष्या करना हमारे दुख का कारण बनता है। इससे कई विकार उत्पन्न होते हैं। किसी की अच्छाई को अनदेखा करना, अतीत को बार-बार कुरेदना, हार की चोट, मादक द्रव्यों का सेवन, कटु आलोचना, अपराध प्रवृत्ति जैसे कई विकार हैं जो हमसे हमारे आनंद के क्षण को छीन लेते हैं।
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