पिछले कुछ महीने में प्रवासी मजदूरों की जो तस्वीरें मीडिया के माध्यम से आईं, वे महाकाव्यात्मक पीड़ा लिए हुए हैं। इन तस्वीरों ने देखने के हमारे नजरिए को बदल कर रख दिया है। ये आम छवियां नहीं है, जिन्हें चौबीस घंटे टीवी चैनल और सर्वव्यापी मोबाइल फोन के दौर में हम देखते रहते हैं। यह पीड़ा के साथ-साथ मानवीय जिजीविषा, करुणा और संघर्ष की तस्वीरें भी हैं।
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