मौजूदा दौर में मुझे ‘ये जिंदगी के मेले’ गीत की याद आई, क्योंकि आज हम सामाजिक दूरी बरतने की बात कर रहे हैं। आज हर कोई एक दूसरे को संदेह की दृष्टि से देख रहा है। न पहले की तरह हम एक-दूसरे से हाथ मिला रहे हैं, न गले मिल रहे हैं। हालांकि देश में धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य होने लगा है और बाजार और दुकानें खुलने लगी हैं।
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