जिंदगी की सार्थकता पर बहुत सारे लोगों ने बहुत बड़ी-बड़ी बातें कही और लिखी हैं, लेकिन जीवन जीना सबको आ गया हो, ऐसा जरूरी नहीं। हालांकि यह भी नहीं है कि जीवन बंधे-बंधाए मानकों पर चलता है। फिर भी यह बहुत हद तक हम पर निर्भर करता है कि हमें अपना जीवन कैसे बिताना है।
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