कई बार अकाल मौत की वजह से अपनों को खोने के दुख के साथ-साथ ऐसे मृत्यु-भोज का आयोजन आर्थिक दबाव के साथ भावनात्मक और मानसिक आघात भी पहुंचाता है। हालांकि इसकी शुरुआत के पीछे के मुख्य कारणों को ठीक से समझा जाता तो शायद यह आज एक कुरीति बन कर नहीं रह जाता।
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