बुढ़ापे का अवसान रुपए-पैसे से परे होता है। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो कोई बात नहीं। अगर उन्नीस-बीस हुआ तो बुढ़ापा अपमान, असुरक्षा, रोग, क्षीणता, कष्ट, दुख का साया बन जाता है।
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