विज्ञान से भी परे है प्रज्ञान। अज्ञान, ज्ञान, विज्ञान और प्रज्ञान! इस ज्ञान यात्रा के चौथे और लक्षित पड़ाव तक ले जाने के लिए हमारी अज्ञान अवस्था में हमें किंवदंतियों से समझाया जाता था, क्योंकि तब हमारे पास ज्ञान का अभाव था और बहुत सारी बातें हमारी समझ से परे हो सकती थीं। हम ज्ञान के युग में पहुंचे, हम ज्ञानी होने के भाव में जीने लगे।
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