अहं की मौजूदगी में होने वाले संवाद के तीन स्तर माने जा सकते हैं। पहला, जब बोलने वाले और सुनने वाले दोनों का अहं सक्रिय हो। दूसरा, जब बोलने वाले का अहं जागृत हो और सुनने वाले का नहीं। तीसरा, जब सुनने वाले का अहं सक्रिय हो और बोलने वाले का नहीं। और चौथा, जब दोनों का अहं सक्रिय नहीं हो।
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