जब तक हम ऐसी सोच और मानसिकता नहीं बदलेंगे यह समाज भी नहीं बदलेगा। बलात्कारी का विवाह तक रचा दिया जाता है, जिसके साक्षी बनते हैं परिवार और समाज! पर अपने खिलाफ अपराध होने के बावजूद पीड़िता का जीवन, सपनें, उम्मीद सब खत्म हो जाती है। समाज-परिवार के सवालिया नजर और तानों का लक्ष्य पीड़िता नहीं, बल्कि अपराधी होना चाहिए।
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