समाज में रहते हुए हर मनुष्य का यह सहज कर्तव्य होना चाहिए कि वह आत्मीय जनों के साथ घटित दुख पर संवेदना व्यक्त करने जरूर पहुंचे। तत्काल न पहुंच सकें, तो बाद में पहुंचे। संवेदना व्यक्त करने से सामने वाले की पीड़ा कम होती है।
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