आमतौर पर एक सुदृढ़ देश में साठ साल के बाद व्यक्ति को पेंशन आधारित जीवन जीने का हक होना चाहिए। विडंबना यह है कि हमारे देश में ज्यादातर लोग अंतिम सांस तक आजीविका की तलाश में जूझते रहते हैं। कहने को सरकार के पास कई योजनाएं और व्यवस्थाएं गरीबी उन्मूलन, सामाजिक समानता और वृद्धावस्था के सहारे के लिए हैं, फिर भी व्यवहार में समाज इन चीजों से अछूता है।
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