कोई तकनीक समय के साथ सामाजिक-सांस्कृतिक बदलाव का औजार कैसे बन सकती है, कैमरा इसका बेहतरीन उदाहरण है। कैमरे के आविष्कार के बाद उसके इस्तेमाल के विभिन्न चरण अपने आप में बदलाव के स्वायत्त अध्याय हैं। इंटरनेट और मोबाइल फोन ने कैमरे के इस्तेमाल को सुगम ही नहीं बनाया, इसे काफी सुलभ भी कर दिया है। कैमरे ने परिवर्तन की जो नई रचनात्मक दुनिया रची है उसका असर वैसे तो सब पर पड़ा है पर महिलाओं का संसार इससे सबसे ज्यादा बदला है। तकनीक और स्त्री के साझे ने बदलाव की वो इबारत लिखी है, जिसमें कई बड़े अभियान और संघर्ष असफल रहे। अस्मिता और पहचान से लेकर खुद को जाहिर करने की रचनात्मकता तक कैमरे ने महिलाओं की दुनिया रातोंरात बदल कर रख दी है। तकनीक और परिवर्तन की इस दास्तां को सामयिक हवालों के साथ सामने ला रही हैं मृणाल वल्लरी।
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