थोड़ी गहराई से नजर डालें तो इस विमर्श में सफलता का मूल अर्थ कभी बदला ही नहीं, बल्कि उसे थोड़ी दूर ले जाकर रख दिया गया। यानी अभी का अंकपत्र भले ही सफलता का पैमाना नहीं हो सकता, लेकिन आगे का अंकपत्र हो सकता है।
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