ग्रामीण अंचल के पिता जी, बाबूजी तक ‘पापा’ हो गए। दूर-दूर तक याद नहीं कि कभी किसी को ‘आंटी’ पुकारना पड़ा या किसी ‘अंकल’ को नमस्ते करने को बाप-चाचा ने कहा हो। घर में काम करने वाली महरी ‘अम्मा’ या ‘माई’ कहलाती।
from Jansattaदुनिया मेरे आगे – Jansatta https://ift.tt/35zxrD8
from Jansattaदुनिया मेरे आगे – Jansatta https://ift.tt/35zxrD8
Comments
Post a Comment