कोरोना काल में बहुतों के लिए रोटी और मकान एक बड़ा अभाव बन गए। कपड़े भले थोड़े बहुत तन पर रहे हों, भोजन पकने की सुगंध बहुतोंको मीलों चलने के बाद मिली। उसके पकने की सुगंध से जीभ पर एक स्वाद तो आता ही है, जीवनी शक्ति का एक आगमन भी मालूम पड़ता है।
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