गांधी जी ने चंपारण में उस समय कहा था कि शराब आत्मा और शरीर दोनों का नाश करती है। देश के इस बेहद गंभीर और विचारणीय विषय को हल करने के लिए गांधीवाद का नशामुक्ति सिद्धांत वर्तमान में कहीं अधिक प्रासंगिक बनता जा रहा है।
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