दरअसल, विकास का आधुनिक मॉडल मनुष्य और प्रकृति, दोनों के शोषण पर आश्रित है। विकास आज विनाश की अवधारणा में तब्दील हो चुका है। गांधी अपने समय में भी विकास की इन आधुनिक नीतियों से वाकिफ थे, इसीलिए उन्होंने ‘मास प्रोडक्शन’ के स्थान पर ‘मासेज प्रोडक्शन’ द्वारा विकास की बात कही और ग्रामीण जीवन और स्वरोजगार को अधिक महत्त्व दिया, जिस पर आज पूरे विश्व में चर्चा और बहस हो रही है।
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