आज मानव जाति न केवल तकनीकी उन्नति कर चुकी है, बल्कि सामाजिक और मानसिक शिकंजों को भी तोड़ने का दावा करती है। कहने को समाज ने खुलेपन और परिवर्तन को स्वीकार लिया है।
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