इत्र कारोबारी पर छापा: अखिलेश यादव के दावे के बाद नया मोड़, जानिये कौन हैं पुष्पराज जैन और क्या है पीयूष जैन से संबंध
इत्र कारोबारी पीयूष जैन पर छापेमारी का मामला गरमा गया है। इस मुद्दे पर अब सियासत भी हो रही है। एक तरफ गृहमंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साधा। वहीं, अखिलेश यादव ने पीयूष जैन को बीजेपी का ही आदमी बता दिया। अखिलेश यादव ने पीयूष जैन पर छापेमारी के मामले को एकदम नया मोड़ देते हुए कहा, ‘वो छापा मारना चाहते थे इत्र वाले के यहां, उसका नाम था पुष्पराज जैन। इनका नाम था पीयूष जैन। लगता है डिजिटल इंडिया की गलती हो गई। पुष्पराज जैन की जगह पीयूष जैन आ गए।’
कन्नौज के धनकुबेर के घर छापेमारी के बाद से दो नामों की चर्चा है। दोनों के नाम का पहला अक्षर पी (P) है और दोनों का सरनेम भी एक ही है- जैन। एक संयोग और है कि दोनों कन्नौज के उसी मोहल्ले के रहने वाले पड़ोसी हैं, जिसे जैन गली के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा दोनों का व्यापार भी एक ही है ,वह भी इत्र का। मगर इतनी समानताओं के बावजूद दोनों में कोई संबंध नहीं हैं। पुष्पराज जैन तो पहले दिन से मीडिया को दिए बयानों में यही कहते आ रहे हैं। आइये जानते हैं दोनों की कहानी क्या है-
क्या किया जा रहा दावा? भाजपा नेताओं का दावा है कि पीयूष के समाजवादी पार्टी के नेता और एमएलसी पुष्पराज जैन “पम्पी” के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के नेताओं का दावा है कि पीयूष का परिवार भाजपा का समर्थक है और उनके छोटे भाई अंबरीश को अक्सर स्थानीय भाजपा नेताओं के साथ देखा जाता है।
कौन हैं पुष्पराज? तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से पता चला है कि 50 वर्षीय पीयूष जैन एक लो-प्रोफाइल व्यवसायी हैं। वहीं 60 वर्षीय पुष्पराज जैन की कन्नौज में एक ‘परोपकारी’ वाली छवि है। पुष्पराज जैन का एक पेट्रोल पंप है, एक कोल्ड स्टोरेज है। 2016 में चुनावी हलफनामे के अनुसार, पुष्पराज और उनके परिवार के पास 37.15 करोड़ रुपये की चल संपत्ति और 10.10 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है। पुष्पराज का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और उन्होंने कन्नौज के स्वरूप नारायण इंटरमीडिएट कॉलेज में कक्षा 12 तक पढ़ाई की है।
उधर, पीयूष जैन के बारे में लोग बताते हैं कि वह आमतौर पर स्कूटर से चलता है। छापेमारी शुरू होने के बाद बीते शुक्रवार को द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पुष्पराज ने कहा था कि मेरा पीयूष जैन से कोई लेना-देना नहीं है। आम बात यह है कि पीयूष जैन मेरे ही समुदाय से हैं। अगर उसके खिलाफ छापेमारी की गई है तो वह खुद इससे निपटेगा।
पीयूष के परिवार ने नहीं लड़ा चुनाव: इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पीयूष जैन और उसका छोटा भाई अंबरीश माता-पिता के घर से पारिवारिक व्यवसाय चलाते थे। लगभग दो दशक पहले पीयूष अपने परिवार को लेकर कानपुर चला गया और अपने आवास से एक नया इत्र व्यवसाय खोला। इसके कुछ सालों बाद ही अंबरीश भी अपने परिवार के साथ कानपुर ही रहने लगा।
इत्र एसोसिएशन ने उठाए सवाल: उधर, कन्नौज परफ्यूम एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन त्रिवेदी ने बताया कि हम पीयूष जैन और उनके परिवार को अच्छी तरह से जानते हैं। परिवार में किसी ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा था, हमें नहीं पता कि उन्हें इतनी बड़ी रकम कहां से मिली। पुष्पराज जैन 2016 में इटावा-फर्रुखाबाद से एमएलसी के रूप में चुना गया था। एमएलसी पुष्पराज का मुंबई में एक घर और एक कार्यालय है, जहां से मुख्य रूप से मध्य पूर्व में लगभग 12 देशों को निर्यात का सौदा होता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी दिया था बयान: कानपुर मेट्रो रेल परियोजना का उद्घाटन करने के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘उन्होंने (सपा) ने 2017 से पहले पूरे यूपी में भ्रष्टाचार की खुशबू बिखेर दी थी, जो सभी के सामने है। लेकिन अब वे अपना मुंह बंद रखे हुए हैं और क्रेडिट लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। नोटों का पहाड़ जिसे पूरे देश ने देखा है, यही उनकी उपलब्धि और हकीकत है।’
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