Pregnancy: IVF के जरिए मां-बाप बनने से पहले हर दम्पत्ति को जाननी चाहिए ये बातें! इन महिलाओं के लिए नहीं है सही; जानें
देशभर में ऐसे कई लोग हैं जो प्रजनन से जुड़ी समस्याओं से जूझते हैं। खराब जीवनशैली और तनाव के कारण लोगों के डाइट, आराम, सही व्यायाम पर भी बुरा असर पड़ता है जो उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। वहीं कई लोग बांझपन की समस्या के कारण मां-बाप बनने का सुख नहीं भोग पाते। मगर मेडिकल साइन्स की तरक्की से आज कई ऐसे तरीकें उपलब्ध हैं जिनसे आप मां-बाप बनने का सुख उठा सकते हैं।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन या आईवीएफ उन एक तरीकों में से एक है। आईवीएफ उन दंपतियों की मदद करता है जो परिवार बढ़ाना चाहते हैं, पर बांझपन की समस्या आड़े आती है। हालांकि किसी भी मेडिकल उपाय की तरह इसमें भी जरूरी है कि आप इसके लिए पहले से पूरी तैयारी कर लें। यहां हम उन दस बातों का जिक्र कर रहे हैं, जिन्हें आईवीएफ अपनाने से पहले जानना बेहद जरूरी है।
आईवीएफ का विकल्प चुनने की वजह क्या है ?
किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले ठोस जांच के जरिए यह पता लगाना जरूरी है कि असल में समस्या क्या है। गर्भ नहीं ठहर पाने के पीछे कई कारण होते हैं, जैसे- हारमोन से जुड़ी समस्या, ट्यूब में संक्रमण, शारीरिक संबंध बनाने में असमर्थता आदि।
आईवीएफ कितने प्रकार का होता है ?
आईवीएफ की प्रक्रिया तीन तरह की होती है- नेचुरल आईवीएफ, मिनिमल स्टिमुलेशन आईवीएफ और कनवेंशनल आईवीएफ। नेचुरल आईवीएफ नेचुरल यानि कुदरती अंडे के जरिए किया जाता है, न कि स्टिमुलेशन के जरिए तैयार अंडाणु से। यह उन औरतों के लिए सही है जो बहुत ज्यादा इलाज या दवा और खर्च से बचना चाहती हैं। मिनिमल स्टिमुलेशन आईवीएफ में दवा खिला कर स्वस्थ अंडाणु तैयार कराए जाते हैं। कनवेंशनल या पारंपरिक आईवीएफ वह तकनीक है जिसमें खास माहौल में अंडाणु और वीर्य को मिलाया जाता है, जिससे प्रजनन की संभावना काफी बढ़ जाती है।
कब आईवीएफ बेहतर विकल्प होगा?
आईयूआई को छोड़ कर आईवीएफ का विकल्प तब अपनाना सही है अगर औरत के ट्यूब में ब्लॉकेज है, ग्रेड ¾ एंडोमेट्रियोसिस या बांझपन का कोई अज्ञात कारण हो या कुछ मामलों में पीसीओएस की स्थिति में भी आईवीएफ का विकल्प अपनाया जाता है। पीसीओएस हार्मोन के असंतुलन और अंडा निषेचित नहीं होने की स्थिति है। इसे आईयूआई और आईवीएफ, दोनों से ही ठीक किया जा सकता है। उम्र, शादी की अवधि जैसे कारकों पर यह निर्भर करता है। कोई भी विकल्प अपनाने से पहले इन पहलुओं पर डॉक्टर के साथ विस्तार से बातचीत करना सही रहता है।
जिन स्त्रियों में अंडों की कमी होती है, उनके लिए क्या सही है?
यह एक आम गलती है कि जिन औरतों में अंडे की कमी होती है, उन्हें स्टिमुलेंट्स की ज्यादा खुराक दी जाती है। यह फायदे के बजाय नुकसानदेह हो जाता है। सही यह है कि कम मात्रा देकर तैयार अंडों की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया जाए। ऐसे मामलों में नेचुरल आईवीएफ या मिनिमल स्टिमुलेशन आईवीएफ अपनाना उचित है। हालांकि, इसमें एक बुरी बात यह है कि इस प्रक्रिया में केवल दो या तीन अंडे भी बन सकते हैं और अगर पहला प्रयास नाकाम हो गया तो पूरी प्रक्रिया दोहरानी पड़ती है।
मेल फर्टिलिटी टेस्ट कराया ?
पुरुषों में संतानोत्पत्ति की क्षमता से जुड़ी जांच भी कराना जरूरी है। केवल एक टेस्ट से इस बारे में पता चल जाता है। इस टेस्ट में सीमेन एनालिसिस किया जाता है। जब इस जांच का नतीजा ठीक आए तब महिला को क्या समस्या है, उसकी जांच करने की जरूरत होती है।
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