उत्तर प्रदेश में श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के बाद कई वर्षों तक शांति रही। लेकिन कुछ सालों बाद बदमाशों ने फिर राज्य में अपना पैर पसारना शुरू कर दिया। ज्यादा समय नहीं बीता था कि राज्य पुलिस के सामने बदमाश चुनौती बनने लगे थे। ऐसे में उत्तर प्रदेश में गैंगस्टरों ने एक बार फिर पुलिस और प्रशासन को चुनौती देना शुरू कर दिया था। एक गैंगस्टर का नाम था रमेश कालिया, जिसका अपराध की दुनिया में एक नया नाम था। लेकिन कम समय में ही उनसे अपने नाम के आगे डॉन लगाकर पुलिस प्रशासन को ही चुनौती देना शुरू कर दिया।
साल 2003 के आते-आते उत्तर प्रदेश के पूरब में मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह के अलावा लखनऊ में अजित सिंह और अखिलेश प्रताप सिंह की तूती बोलती थी। उधर छोटी-मोटी वारदातों को अंजाम देने वाले रमेश ने साल 2002 और 2003 में अचानक अपना क्राइम गियर बदला तो रमेश कालिया का नाम सुनते ही ठेकेदारों और बिल्डरों की रुह कांपने लगती थी। कालिया अब छोटे-मोटे धंधे छोड़कर लफड़ों वाली ज़मीनों पर कब्जा करता और रास्ते में जो भी आता, उसे ढेर कर देता।
4 सितंबर 2004 को समाजवादी पार्टी के एमएलसी और बाहुबली अजीत सिंह की हत्या का आरोप भी रमेश कालिया पर लगा था। चूंकि पुलिस के पास सबूत नहीं था इसलिए वह कालिया को पकड़ने का प्लान बनाई। मुजफ्फरनगर के तेज तर्रार एसएसपी नवनीत सिकेरा को दिसंबर 2004 में लखनऊ का एसएसपी बना दिया गया।
नवनीत सिकेरा एक इंटरव्यू में बताते हैं कि वह इतना शातिर था कि खुले में उसने घर बनाया था। जब भी कोई जाता वह किधर भी भाग जाता था। इसलिए टीम में से कुछ लोग दूध वाला बनकर और सुबह शौच के बहाने से उसके घर की रेकी किए। इसके बाद फिर हमने प्लान बनाया कि बारात के रूप में चलना है। एक महिला कांस्टेबल को दुल्हन बनाया। इंस्पेक्टर ने दूल्हे का लुक लिया और गाड़ी पर बाकायदा स्टिकर चिपकाया “राहुल वेड्स पूनम”
यह सब पुलिस ने रमेश कालिया को पकड़ने तब बनाया जब एक और सबूत मिल गया था। ये सबूत था- बिल्डर इम्तियाज। इम्तियाज ने पुलिस को बताया था कि रमेश कालिया ने उससे ‘प्रोटेक्शन मनी’ मांगी है। एसएसपी सिकेरा ने इम्तियाज़ के जरिए रमेश कालिया तक पहुंचने की योजना बनाई। 10 फरवरी 2005 को एसएसपी के कहने पर इम्तियाज ने कालिया को फोन पर कहा कि वह कुछ पैसे अभी देने को तैयार है। 12 फरवरी, 2005 को पुलिसकर्मी बारातियों की तरह सज-धजकर तैयार हुए। तीन गाड़ियां नीलमत्था के लिए रवाना हुई। इम्तियाज अपनी कार में पुलिसवालों से थोड़ा पहले निकलता है और इम्तियाज के पीछे पुलिस की बारात निकल पड़ती है। नवनीत सिकेरा ने बताया कि तब हमारे पास छोटे फोन थे जो हमनें इम्तियाज की जेब में डाला था।
इम्तियाज कमरे में दाखिल होने के बाद कालिया डॉन से कुछ बातचीत करता है और रकम देते हुए कहता है कि भाई, गुस्ताखी माफ! ज्यादा इंतजाम नहीं हो सका। बस इतना ही है। इस बात से कालिया उखड़ जाता है। वो नोटों की गड्डी इम्तियाज के मुंह पर दे मारता है। वो इम्तियाज को गालियां देना शुरू करता है। उधर गोली चलने की आवाज आती ही तभी बुके से अपनी बंदूकें निकालकर पुलिस की तरफ से फायरिंग शुरू हुई और पुलिस ने 20 मिनट में सबका काम तमाम कर दिया। इस पूरे एनकाउंटर में 2 पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।
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