आज बच्चे सौ में से सौ अंक ला रहे हैं और शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को इस पर विचार करना जरूरी नहीं लग रहा है। कोई भी शिक्षाविद विचार कर सकता है कि किसी विषय में खासकर कला विषयों में विद्यार्थियों का सौ में से सौ नंबर आना कितना सही है!
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