संवेदनाएं और उनकी अभिव्यक्ति मनुष्यता और पशुता की विभाजन रेखा है। हमारे आज के युवाओं के अंदर आत्मविश्वास है, पर धैर्य नहीं। किसी भी काम में तुरंत और मनोनुकूल परिणाम की आकांक्षा ने जीवन के संघर्ष की परिभाषा बदल दी है।
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