इस समाज में ऐसी संरचनाओं को तोड़ने की जरूरत है, जिनमें दूसरे लोगों पर नियंत्रण और वर्चस्व का भाव निहित होता है। इसकी शुरुआत बुनियादी परवरिश से भी की जानी चाहिए। घर एक ऐसी संस्था है, जिसे एक ‘पवित्र संस्था’ की उपाधि दी गई है।
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